修学大乘的根本论典 有助于悟入中道实相
本论是印度的祖师无着菩萨根据《阿毗达磨大乘经》,并参考《般若经》《华严经》《辩中边论》和《瑜伽师地论》,融合性相二宗,会归而成的大乘佛法的修学法要。我们过去学习大乘经论都是局部性的,就是根据某一个重点来学习,所以必须透过很多的经论才能了解菩萨道的全貌。
虽然般若部的《大智度论》也有理论、修行、位次,另外《瑜伽师地论》也是非常完整的教法,但是这两部论各有一百卷之多。而本论只有十卷,无着菩萨以将近十分之一的文字,圆满地收摄了大乘的信解行证,帮助我们悟入大乘的中道实相。在理观的地方,它深入地探讨生命的真相,来建立我们的甚深见;在事修的时候,它广泛地讲到菩萨的六度,开展出自利利他的广大行。因此,它能够引导我们完整地了解大乘教法的法义,正确地遵循大乘佛法的道次第,这一点非常殊胜难得。基于这个特色,内容的完整、次第的分明,本论在佛教史上,不管是在印度还是在中国,都被祖师们列为修学大乘的根本论典。
| 卷次 |
線上聽經 YouTube |
聲檔 MP3下載 |
影音 WMV下載 |
講義 |
課程講記 |
複習提綱 |
名相解釋 |
註記 |
| 簡體 |
繁體 |
簡體 |
繁體 |
| 001 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 002 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 003 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 004 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 005 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 006 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 007 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 008 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 009 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 010 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 011 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 012 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 013 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 014 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 015 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 016 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 017 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 018 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 019 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 020 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 021 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 022 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 023 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 024 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 025 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 026 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 027 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 028 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 029 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 030 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 031 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 032 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 033 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 034 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 035 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 036 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 037 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 038 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 039 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 040 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 041 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 042 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 043 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 044 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 045 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 046 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 047 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 048 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 049 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 050 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 051 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 052 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 053 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 054 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 055 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 056 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 057 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 058 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 059 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 060 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 061 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 062 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 063 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 064 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 065 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 066 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 067 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
| 068 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|